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अपनी एक पहचान बनाने तथा एक बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत....

Wednesday, December 26, 2007

Old Is Gold

१) ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है|

२) सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाजू-ए-क़ातिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ए आसमाँ
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है|

३) इस शान से वह आज पए-इम्तहाँ चले
कितनो के पाँव चूम के पूछा कहाँ चले
जब मैं चलूँ तो साया भी मेरा न साथ दे
जब वह चलें, ज़मीन चले, आसमाँ चले|

४) न किसी की आँख का नूर हूँ, न किसी के दिल का क़रार हूँ
जो किसी के काम न आ सके, मैं वो एक मुश्ते ग़ुबार हूँ|

चिंटू

2 Comments:

Anonymous Anonymous said...

you should not write at the end of paragraphs which have been stolen by you from the internet...

so keep in mind...

7:14 am, October 20, 2008  
Anonymous Anonymous said...

I know you have stolen this from internet...so don't try to become over smart which definitely you are not..don't put your name at the end....I can sue in court..remove it asap...

7:16 am, October 20, 2008  

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