लिखू तो मैं क्या लिखूं
लिखू तो मैं क्या लिखूं, यूं तो बाते हजार हैं
देखो अगर ध्यान से तो कोरा पन्ना भी बहुत कुछ कहता है
स्याही से लिखे पैन से ही दिखाई देता है
यूं तो खुला आसमान भी बहुत कुछ कहता है
जितना देखोगे दिखेगा,
वैसे तो लोग आखें होते हुए भी अधें होते हैं
पढना-पढाना यूं तो अलग -अलग बाते हैं
किताब मे छपा देखोगे तो बात एक ही है।
चिन्टू
3 Comments:
bilkul BAKWAS...
Thank you very much for your comment.
Dear Chintu, Bahut achha likhte ho. Likhte raho............
Post a Comment
<< Home