मैं क्या मिस नहीं करता हूँ
अपनी माँ के प्यार को मिस करता हूँ
उसके आचल में फिर से छुप जाने को मिस करता हूँ
आपने बापू कि डाट को फिर से सुनने को मिस करता हूँ
उस अपने विशाल परिवार को मिस करता हूँ
मिस करता हूँ मैं अपने भाई बहनों को
वो केला या मूंगफली खा कर छिलका सड़क पर फेकने को मैं मिस करता हूँ
मिस करता हूँ मैं वो सड़क पर बिना सिग्नल परवाह किए आगे बढ़ना
वो अपने यहाँ कि पॉकेट-मनी के हिसाब कि रिक्शा को मिस करता हूँ
एक-दूजे को धक्का मारते हुए वो बसों कि वो भीड़ को मिस करता हूँ
वो एक मोटर बाइक पर ४ लोगो कि सवारी को मिस करता हूँ
वो गन्नों के खेतो को मिस करता हूँ
वो सर्दी में आग जलाकर हाथो को गरम करने को मिस करता हूँ
वो पड़ोस के घर से पकी पकाई सब्जी को लाकर खाने को मिस करता हूँ
मिस करता हूँ मैं अपने देश को, अपने वतन को
उस अपनी मिटटी कि महक को मैं बहूत मिस करता हूँ
चिंटू
1 Comments:
chintuji apne acha lka hai
krupiya me bhi bahut likhata hun apmera blog padh sakate hai
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