जीने से तो अच्छा है
इस जीने से तो अच्छा है कि मौत ही मेरी दुल्हन बन जाय
जीता हूँ रोज़ मैं पता नही कितनी जिन्दगी
कभी दोस्त बनकर तो कभी दुश्मन बनकर
कभी बेटा बनकर तो कभी भाई बनकर
कभी छात्र बनकर तो कभी बॉस बनकर।
जाना पड़ता है सही काम के लिए भी ग़लत रास्ते से
हर आदमी व्यस्त है बिना काम के भी।
पता नही जीता हूँ कितनी जिन्दगी मैं।
चिंटू
0 Comments:
Post a Comment
<< Home